Author: Debashish Chakrabarty

अंक 5 : थम न जाये जलधारा

पॉडभारती का यह पांचवा पड़ाव है। इस पड़ाव पर संगीत के माध्यम से हम विचार करेंगे मानवता के सामने उभर रहे सबसे बड़े संकटों में से एक, यानी सिकुड़ रही जलधारा के बारे में। इसके अलावा नारी अधिकार और आतंकवाद जैसे मुद्दे भी इस अंक में शामिल है। इस अंक की विषयवस्तु कुछ यूं है: जलसंकट पर दैनिक भास्कर समूह में संपादक विकास मिश्र की संक्षिप्त वार्ता जल–संरक्षण के मुद्दे पर दो खूबसूरत गीत, मशहूर ग़जल गायक भुपिंदर सिंह और रघुनाथ सरन की आवाज़ में किरण बेदी के साथ हुये अन्याय के बहाने नारी अधिकारों की बात कर रही हैं मुम्बई से वरिष्ठ पत्रकार सीमा अनंत ब्रिटेन में ग्लासगो मामले के बाद के हालात पर लंदन से नीरू कोठारी की खास रिपोर्ट

अंक 4 : अंशुल ने मचाया गदर

श्रोताओं की शिकायत रही है कि पॉडभारती का रवैया गीत-संगीत और सिनेमा के प्रति बेरूखी का रहा है। हमें पूरा यकीन है कि पॉडभारती के इस अंक में यह शिकायत दूर हो जायेगी। हमारे चतुर्थ अंक में आप सुन सकते है: भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म गदर का अनूठा पॉडिकरण सिलिकन वैली में रहने वाले 13 साल के बेहद प्रतिभाशाली एनआरआई बालक अंशुल समर से खास बातचीत और कनाडा की उड़न तस्तरी यानी स्टार ब्लॉगर समीरलाल की एक अलग तरह की प्रतिभा की एक झलक। एक अपडेट: इस अंक के निर्माण के 12 साल बाद 2019 में मेरी अंशुल से लिंक्डइन पर भेंट हुई। वो अब घनी दाढ़ी वाला 25 वर्षीय युवक है। हर्ष की बात है कि अंशुल को ये इंटरव्यू याद था। अंशुल ने कहा, “हेलो देबाशीष अंकल! वाह, ये तो ब्लास्ट फ्रॉम द पास्ट है। आप मुझे मेरे मिडल स्कूल के दिनों में वापस ले आए, मैंने इसे अपने परिवार को भी भेज दिया। मैं अपनी सीट पर बैठा उस समय किये अपने बड़बोलेपन को सुन रहा हूं, और साथ ही, गहराई से आभारी हूं कि आपने अपने पॉडकास्ट पर 13 साल के बच्चे के लिए समय निकाला। दरअसल आप जैसे लोगों, TiE के

अंक 3 : मायावती पर फ्रेश रिलायंस

पॉडभारती के पॉडज़ीन स्वरूप में इज़ाफा करते हुये हम इसके तृतीय अंक में सामयिक घटनाओं के विश्लेषण शामिल कर रहे हैं। हमारे तृतीय अंक में आप सुन सकते हैं, पॉडभारती के विगत अंकों पर श्रोताओं की राय का अवलोकन व हमारी प्रतिक्रिया, 13 मई 2007 को राँची में रिलायंस फ्रेश सुपरमार्केट पर पथराव की घटना के दूरगामी परिणाम देखने का प्रयास अफलातून देसाई और आलोक पुराणिक के साथ और उत्तर प्रदेश के असेंबली चुनाव में बसपा को मिले बहुमत के निहितार्थ बताती सृजन शिल्पी की विशेष वार्ता।

अंक 2 : मातृत्व दिवस विशेष

हमारे समाज में मां को एक देवी का दर्जा मिला हुआ है और इसी की बदौलत मातृत्व को संसार का सबसे बड़ा सुख माना जाता है। मगर दु:ख कि बात यह है कि हर मां इतनी खुशकिस्मत नहीं। इस दुनिया में कुछ मांएं ऐसी भी हैं जिन्हें न तो देवी माना जाता है और न ही उनका मातृत्व सुख का कारण है। जी हां, हम उन्हीं औरतों की बात कर रहे हैं जिन्हें ये समाज वेश्यायें, रंडी, तवायफ और न जाने किन-किन नामों से पकारता है, उनके मातृत्व को पाप और कलंक कहता है। ऐसी ही कुछ मांओं से कीजिये मुलाकात और जानिये उनके बच्चों और उनके सपनों को पॉडभारती के इस मदर्स डे विशेषांक में। कार्यक्रम की परिकल्पना व संचालन किया है शशि सिंह ने। इस मार्मिक पॉडकास्ट को आप कभी भूल न पायेंगे, हमारा वादा है।

अंक 1 : मुहल्ला ट्राँसलिट्रेशन वाला

प्रस्तुत है पॉडपत्रिका पॉडभारती का पहला अंक। कार्यक्रम का संचालन किया है देबाशीष चक्रवर्ती ने और परिकल्पना है देबाशीष और शशि सिंह की। अप्रेल 2007 के इस प्रथम अंक में आप सुनेंगे। हिन्दी चिट्ठाकारी ने अप्रेल 2007 में चार साल पूरे किये हैं। ये फासला कोई खास तो नहीं पर कई लोग इसी बिना पर पितृपुरुष और पितामह कहलाये जाने लगे हैं और अखबारों में छपने लगे हैं। पॉडभारती के लिये चिट्ठाकारी के इस छोटे सफर का अवलोकन कर रहे हैं लोकप्रिय चिट्ठाकार अनूप शुक्ला। गूगल के हिन्दी ट्रांस्लिट्रेशन टूल के प्रवेश से हिन्दी चिट्ठाकारी को एक नया आयाम मिला है। इस टूल के बारे में और जानकारी देंगे टेकगुरु रविशंकर श्रीवास्तव। मोहल्ला हिन्दी का एक नया पर चर्चित ब्लॉग है। यहाँ इरफान के हवाले से लिखे एक लेख ने ऐसा हंगामा बरपा किया कि हिन्दी चिट्ठाजगत ही ध्रुवों में बंट गया। बहस वाया सांप्रदायिकता लानत मलानत और एक दूसरे के गिरेबान तक जा पहूंची। मुहल्ला पर अविनाश के माफ़ीनामे तक से मामला अब तक ठंडा नहीं पड़ा। इसी संवेदनशील विषय पर सुनिये पॉडभारती के शशि सिंह की खास रपट।